बिलकिस मामले में प्रमुख गवाह ने CJI को लिखा पत्र, कहा- जेल से बाहर आए बलात्कारी ने दी जान से मारने की धमकी’

नई दिल्ली, गुजरात के बिलकिस बानो केस के दोषियों की रिहाई के बाद गुजरात सरकार के फैसले पर देशभर में सवाल उठ रहे हैं। अब एक प्रमुख गवाह ने अपनी जान को खतरा बताते हुए मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित को पत्र लिखा है। दऱअसल बिलकिस बानो मामले अहम गवाह इम्तियाज घांची (45) ने दावा किया है कि उन्हें हाल ही में एक दोषी राधेश्याम शाह ने धमकी दी है।

द क्विंट की खबर के मुताबिक, इम्तियाज ने देश के मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित को पत्र लिखते हुए जान के खतरे के मद्देनजर सुरक्षा की मांग की है। घांची ने 15 सितंबर को शाह के साथ अचानक हुई मुलाकात के बारे में याद करते हुए कहा, ‘उन्होंने ने मुझे यह कहते हुए धमकी दी कि हम तुम लोगों को पीटकर गांव से निकालेंग।

राधेश्याम शाह 2002 के गोधरा दंगों के दौरान बिलकीस बानो के सामूहिक बलात्कार और उनकी तीन साल की बेटी सहित उनके परिजनों की हत्या के लिए दोषी ठहराए गए 11 लोगों में से एक हैं, जिन्हें बीते 15 अगस्त को गुजरात सरकार द्वारा सजा माफ़ करने के बाद समय से पहले रिहा कर दिया गया है।

बचता दे कि दोषियों की रिहाई के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है, जिसने इस महीने की शुरुआत में गुजरात सरकार को दोषियों की रिहाई संबंधित रिकॉर्ड पेश करने का  निर्देश दिया था।

उन्होंने  बताया, ‘मैं मोटरसाइकिल पर था और ट्रेन के गुजरने का इंतज़ार कर रहा था, जब राधेश्याम शाह ने मुझे देखा और उसके पास आने का इशारा किया। मैं उसके पास जाने से डर रहा था लेकिन चला गया। फिर उसने मुझे धमकी दी कि अब तो हम बाहर आ गए हैं। तुम लोगों को मार-मार के गांव से निकालेंगे. ‘

2002 में दंगों के तत्काल बाद घांची ने अपने परिवार के साथ अपने पैतृक गांव सिंगवड़ (रंधिकपुर) में अपना घर छोड़ दिया और देवगढ़ बरिया में एक राहत कॉलोनी में चले गए थे और तब से वे अपनी पत्नी और बच्चों के साथ वहीं रह रहे हैं। उन्होंने बताया, ‘2002 में दंगों के बाद गांव (रंधिकपुर) जाना छोड़ दिया था। वापस जाने की हिम्मत कभी नहीं हुई। लेकिन मैं दिहाड़ी मजदूर हूं, काम की तलाश में गांव जाना पड़ता है.’

मामले में विशेष मुंबई केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) अदालत में मुकदमे के दौरान घांची ने बताया था कि गोधरा ट्रेन जलने की घटना के अगले दिन उन्होंने एक आरोपी (अब मृत) नरेश मोढिया को हाथ में रामपुरी चाकू पकड़े हुए देखा था। उन्होंने अदालत को यह भी बताया था कि उन्होंने रंधिकपुर में एक अन्य आरोपी प्रदीप मोढिया को अपने घर के पास पथराव करते और नारे लगाते हुए भी देखा था।

गौरतलब है कि 27 फरवरी, 2002 को साबरमती एक्सप्रेस के डिब्बे में आग लगने की घटना में 59 कारसेवकों की मौत हो गई। इसके बाद पूरे गुजरात में दंगे भड़क गए थे। दंगों से बचने के लिए बिलकीस बानो, जो उस समय पांच महीने की गर्भवती थी, अपनी बच्ची और परिवार के 15 अन्य लोगों के साथ अपने गांव से गई थीं। तीन मार्च 2002 को वे दाहोद जिले की लिमखेड़ा तालुका में जहां वे सब छिपे थे, वहां 20-30 लोगों की भीड़ ने बिलकीस के परिवार पर हमला किया था। यहां बिलकीस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया, जबकि उनकी बच्ची समेत परिवार के सात सदस्य मारे गए थे।

 

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top