हरियाणा के पंचकूला में गुज्जरों ने दलितों का किया सामाजिक बहिष्कार ,हुक्का पानी किया बंद

नई दिल्ली : (असरार अहमद ) हरियाणा में पंचकूला जिले के भुंड गाँव में स्वर्ण समाज के लोगों ने दलित समाज का सामाजिक बहिष्कार कर दिया है। दलित समाज के बहिष्कार की घटना के बाद जिस तरीके से स्थिति बनाई गई है अगर प्रशासन चाहता तो इतनी बड़ी घटना को होने से रोक सकता था। मिली जानकारी के अनुसार इस घटना को रोकने में प्रशासन पूरी तरह नाकाम रहा है और कुछ संगठनों की साजिश के तहत गांव में यह हालात बने हैं। दलित समाज का पूरे तरह से हुक्का पानी बंद कर दिया गया है ,उनकी दुकाने बंद करा दी गई हैं ,और कहा गया है कि अगर दुकान खोले तो 5000 रूपए का जुर्माना गुज्जर समाज तुम पर लगाए गा दलित समाज ने हमसे बात करते हुए बताया कि अगर वह किसी ऐसी जगह काम करते थे जिसके मालिक गुज्जर समाज के लोग थे तो वहां से दलितों को निकाल दिया गया है और मालिक से कहा गया है कि अगर फिर से इन्हें काम पे रखते हो तो तुम्हारे ऊपर 21000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा।
यह सारी जानकारी हमें उस समय मिली जब मिल्लत टाइम्स की टीम पंचकूला के भुंड गांव मामला जानना पहुंची थी । पीड़ित पक्षों से मुलाकात करके घटना से संबंधित जानकारी ली जिसकी विडिओ आप मिल्लत टाइम्स के यूट्यूब ,ट्विटर और फेसबुक पर देख सकते हैं ।

जब हमने दुसरे पक्ष ( गुज्जर समाज ) से बात करने की कोशिश की तो उसने कैमरा के सामने कोई भी बात करने से इंकार कर दिया लेकिन फिर भी हमने उनकी कुछ विडिओ मोबाइल से रिकॉर्ड कर ली आप यूट्यूब पर उसको भी देख सकते हैं ,गुज्जर जाती के लोगों ने इस घटना को सिरे से नकार दिया कहा कि ऐसी कोई घटना ही नहीं हुई है जब हमने उनसे यह कहा कि 9 लोगों के खिलाफ नामजद FIR फिर किस बात की हुई है तब उन्होंने ने बताया कि एक दलित लड़के ने दुसरे गांव के गुज्जर जाती कि लड़की से शादी कर ली जिसकी वजह से हम लोगों ने एक पंचायत बुलाई और फिर उसमें कुछ बातें हुईं लेकिन क्या बात हुई उसने बताने से इंकार कर दिया। लेकिन दलित लड़के की मां बताती हैं कि जब पंचायत में मुझे बुलाया गया तो मुझसे कहा गया कि दिन भर आज तुमको कड़ी ही रहना है और कहा कि “हम इज़्ज़त के बदले इज़्ज़त लेंगे ” लड़के की मां ने आरोप लगाया कि उन लोगों ने मेरे साथ छेड़खानी करने की कोशिश की।

https://twitter.com/Millat_Times/status/1446344084784771077

साथ ही इलाके के SHO और गांव के कुछ दोषी लोगों से भी हमारी बात हुई। बात करने के बाद जो तथ्य उभर कर सामने आए हैं वो इस तरफ इशारा करते हैं की एक गुर्जर समुदाय की लड़की और एक दलित समुदाय के लड़के के बीच शादी होने के बाद, गांव के गुर्जर जाती के कुछ लोग और पूर्व सरपंच लोगों ने मिलकर दलितों का सामाजिक बहिष्कार कर दिया ।
अगर प्रशासन चाहता तो घटना इस तरीके का बड़ा विकराल रूप धारण नहीं करती ,समय रहते दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करता और मामले शांत हो जाता लेकिन प्रशासन से बड़ी चूक हुई है अब यह चूक प्रशासन से ही हुई है या प्रशासन ने किसी के दबाव में आकर कार्रवाई नहीं की 8 सितंबर को ही, जब पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई गई थी, तब ही अगर स्थानीय प्रशासन चाहता तो कार्यवाही कर के मामले को बढ़ने से रोक सकता था। लेकिन प्रशासन ने शिकायत को नकार दिया और इसपर कई दिनों तक कोई प्रक्रिया नहीं की। जीका नतीजा यह हुआ कि शांति की दुश्मन ताकतों को जातिवादी षड्यंत्र रचने का पूरा मौका मिला और उन लोगों ने एक जाती विशेष का सामाजिक बहिष्कार कर दिया

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