संसद में प्रवेश पर लगे प्रतिबंध को हटाने के लिए पत्रकारों निकाला मार्च

नई दिल्ली:(रुखसार अहमद) संसद भवन में पत्रकारों की एंट्री पर पाबंदी को लेकर आज दिल्ली की सड़कों पर पत्रकारों का आक्रोश देखने को मिला। देशभर के प्रिंट और टीवी मीडिया से लेकर फोटो पत्रकारों ने आज सरकार के खिलाफ संसद तक पैदल मार्च निकाला।

दरअसल कोरोनावायरस के कहर को देखते हुए संसद की कार्यवाही के दौरान पत्रकारों की एंट्री को सीमित किया गया था। अब जब महामारी का प्रकोप कम हो रहा है और तमाम प्रतिबंध हटाए जा रहे हैं, तब भी पत्रकारों के प्रवेश पर लगा प्रतिबंध पहले की तरह ही जारी है।

संसद में रिपोर्टिंग की महत्ता बताते हुए प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के प्रमुख उमाकांत लखेड़ा कहते हैं, अगर पत्रकारों का प्रवेश रोक दिया जाएगा तो वहां होने वाली राजनीतिक गतिविधियों प्रेस कांफ्रेस, डिस्कशन आदि में वह शामिल नहीं हो पाएंगे। सेशन के दौरान संसद भवन खबरों का अड्डा होता है। वह केवल लाल रंग का गुबंध नहीं है। वो हमारे लिए सूचना का स्रोत है। पत्रकार वहां स्टोरी करने जाते हैं, आपसे पैसे (सरकार से) तो नहीं मांग रहे हैं।

संसद मार्च से पहले पत्रकारों ने प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के दफ्तर में बैठक की थी। इस दौरान प्रेस क्लब ऑफ इंडिया, एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया, प्रेस एसोसिएशन, इंडियन वोमेन्स प्रेस कोर, दिल्ली पत्रकार संघ और वर्किंग न्यूज़ कैमरामैन एसोसिएशन के पदाधिकारी शामिल हुए।

बैठक के बाद सैंकड़ों की संख्या में मौजूद पत्रकारों ने हाथ में विभिन्न तख्तियां लेकर संसद भवन की ओर रुख किया। पत्रकारों ने बताया कि हम लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और राज्यसभा के सभापति वैंकेया नायडू को इस संबंध में ज्ञापण सौंपेंगे।

पत्रकार संगठनों की यह भी मांग है कि लंबे समय तक संसद कवर करने वाले पत्रकारों के विशेष स्थायी पास फिर से दिया जाए। जो उनके पेशे की गरिमा और सम्मान के अनुरूप है। फिलहाल सरकार ने इस पर भी रोक लगा रखी है। साथ ही जिन पत्रकारों को सत्र की पूरी अवधि के लिए जो पास बनते थे, उनके लिए भी पहले की तरह पास बनाएं जाएं ताकि वे सदन की कार्यवाही कवर कर सकें।

पत्रकारों का कहना है कि सरकार द्वारा प्रवेश पर रोक लगने से हमारी नौकरी और सेवा पर असर पड़ा है जिससे उन्हें छंटनी का भी सामना करना पड़ा है। पत्रकारों ने मांग की है कि संसद के दोनों सदनों की प्रेस सलाहकार समितियों का नए सिरे से गठन किया जाए क्योंकि दो साल से उनका गठन नहीं हुआ है।

 

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