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भारत में कोविड मौतों से जुड़ी तस्वीरों के लिए फोटोग्राफर दानिश सिद्दीकी एक बार फिर पुलित्जर अवार्ड से सम्मानित

नई दिल्ली: (रुखसार अहमद) अमेरिका के सबसे बड़े पुलित्जर पुरस्कार 2022 के विजेताओं का ऐलान सोमवार देर शाम को हुआ। इसमें फोटोजर्नलिस्ट दानिश सिद्दीकी का भी नाम शामिल है।

इस बार सिद्दीकी और उनके सहयोगियों अदनान आबिदी, सना इरशाद मट्टू और अमित दवे को भारत में कोरोना के कारण हुई मौतों की तस्वीरें खींचने के लिए सम्मानित किया गया है।

यह फोटो 24 अप्रैल को नई दिल्ली के श्मशान घाट की है। इसमें लोग कोरोना वायरस पीड़ितों के शवों का अंतिम संस्कार करते दिख रहे हैं।
यह फोटो 24 अप्रैल को नई दिल्ली के श्मशान घाट की है। इसमें लोग कोरोना वायरस पीड़ितों के शवों का अंतिम संस्कार करते दिख रहे हैं। (दैनिक भास्कर)
यह तस्वीर उत्तर प्रदेश के जेवर जिले के मेवला गोपालगढ़ गांव की है, जिसमें 65 वर्षीय हरवीर सिंह पेड़ के नीचे खाट बिछाकर अपना इलाज करवा रहे हैं।
यह तस्वीर उत्तर प्रदेश के जेवर जिले के मेवला गोपालगढ़ गांव की है, जिसमें 65 वर्षीय हरवीर सिंह पेड़ के नीचे खाट बिछाकर अपना इलाज करवा रहे हैं।
यह तस्वीर 4 मई को नई दिल्ली के श्मशान घाट में ली गई। इसमें 19 साल के प्रणव मिश्रा, अपनी मां ममता मिश्रा (45) के शव के बगल में बैठे हैं, उनकी मां की मौत कोरोना से हुई थी।
यह तस्वीर 4 मई को नई दिल्ली के श्मशान घाट में ली गई। इसमें 19 साल के प्रणव मिश्रा, अपनी मां ममता मिश्रा (45) के शव के बगल में बैठे हैं, उनकी मां की मौत कोरोना से हुई थी।

सिद्दीकी ने पिछले साल अफगानिस्तान में अपनी जान गंवाई थी। इससे पहले दानिश को मुंबई प्रेस क्लब ने मरणोपरांत ‘जर्नलिस्ट ऑफ द ईयर’ पुरस्कार -2020 से सम्मानित किया गया है।

पिछले साल 16 जुलाई को अफगानिस्तान के कंधार में तालिबानियों और सिक्योरिटी फोर्सेस की मुठभेड़ के दौरान भारतीय फोटो जर्नलिस्ट दानिश सिद्दीकी की मौत हो गई थी।

अफगान सेना स्पिन बोल्डक के मुख्य बाजार इलाके पर कब्जा करने के लिए लड़ रही थी, इसी दौरान सिद्दीकी और एक सीनियर अफगान अधिकारी मारे गए। हालांकि, इस पर तालिबान ने कहा था कि उन्हें नहीं पता कि किसकी गोलीबारी में पत्रकार मारा गया। सिद्दीकी 38 साल के थे।

दानिश सिद्दीकी और उनकी टीम को बेहतरीन काम के लिए 2018 में पहला पुलित्जर अवॉर्ड मिला था।

यह फोटो नागरिकता संशोधन कानून के विरोध के दौरान दिल्ली में हुए दंगों का है। इसमें भीड़ ने 37 साल के मोहम्मद जुबैर को घेरकर हमला कर दिया था। (फोटो- रॉयटर्स)

अपनी तस्वीरों से सिद्दीकी ने म्यामांर के रोहिंग्या शरणार्थियों की समस्या को दिखाया था। ये तस्वीरें देखकर लोगों को रोहिंग्या संकट की गंभीरता का अंदाजा लगा था।

रोहिंग्या शरणार्थियों की समस्या पर दानिश अपनी टीम के साथ मुश्किल हालात में कवरेज पर गए थे। इसी प्रोजेक्ट के दौरान खींची गई तस्वीरों के लिए उन्हें पुलित्जर अवॉर्ड दिया गया था। (फोटो- रॉयटर्स)

बता दें दानिश दिल्ली के गफ्फार मंजिल के रहने वाले थे। उन्होंने दिल्ली की जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी से इकोनॉमिक्स में ग्रेजुएशन किया था। 2007 में उन्होंने जामिया के मास कम्युनिकेशन रिसर्च सेंटर से मास कम्युनिकेशन की डिग्री ली थी। उन्होंने टेलीविजन से अपना करियर शुरू किया और 2010 में रॉयटर्स से जुड़ गए।

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