DSP

पाकिस्तान में पहली हिंदू महिला DSP बनी मनीषा रुपेता

नई दिल्ली : (रुखसार अहमद) पाकिस्तान के इतिहास में पहली बार कोई हिंदू महिला डीएसपी बनी है। मनीषा रुपेता को पहली हिंदू महिला DSP के तौर पर नियुक्त किया गया है। सिंध लोक सेवा की परीक्षा पास करने और ट्रेनिंग पूरी करने के बाद उन्हें DSP बनने का मौका मिला है।

आइए जानते है कौन है मनीषा सिंध जो बनी पकिस्तान पहली हिंदू महिला DSP

दरअसल मनीषा सिंध पिछड़े और छोटे से ज़िले जाकूबाबाद की रहने वाली है, उन्होंने अपनी प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा जाकूबाबाद में ही हासिल की। उनके पिता जाकूबाबाद में व्यापारी थे। मनीषा जब 13 साल की थीं तब उनके पिता का निधन हो गया था।

DSP  बनने से पहले मनीषा ने डॉक्टर बनने की कोशिश की थी, लेकिन महज एक नंबर कम होने के कारण उन्हें MBBS में दाख़िला नहीं मिला था। इसके बाद उन्होंने डॉक्टर ऑफ फिजिकल थेरेपी की डिग्री ली। इस दौरान बिना किसी को बताए वह सिंध लोक सेवा आयोग की परीक्षा की तैयारी भी करती रहीं। उन्होंने ना केवल इस परीक्षा में कामयाबी हासिल की बल्कि 438 सफल आवदेकों में 16वें स्थान हासिल किया।

मनीषा की तीन बहनें एमबीबीएस डॉक्टर हैं, जबकि उनका इकलौता और छोटा भाई मेडिकल मैनेजमेंट की पढ़ाई कर रहा है। पाकिस्तान में आम तौर पर महिलाएं पुलिस स्टेशन और कोर्ट के अंदर नहीं जाती हैं। इन स्थानों को महिलाओं के लिए उपयुक्त नहीं माना जाता है, इसलिए ज़रूरत पड़ने पर यहां आने वाली महिलाएं पुरुषों के साथ आती हैं. ऐसे माहौल में, मनीषा ने पुलिस बल को ज्वाइन करने का फ़ैसला कैसे लिया?

मीडिया से बात करते हुए मनीषा ने बताया कि वह इस धारणा को बदलना चाहती थीं कि अच्छे परिवार की लड़कियां पुलिस स्टेशन नहीं जाती हैं। उन्होंने बताया, “हमें यह स्पष्ट तौर पर पता है कि कौन सा पेशा महिलाओं के लिए है और कौन सा नहीं. लेकिन मुझे हमेशा पुलिस का पेशा आकर्षित करता रहा और प्रेरित भी करता रहा. मुझे लगता है कि यह पेशा महिलाओं की स्थिति को सशक्त बनाता है। उन्होंने यह भी कहा कि उनका मुख्य उद्देश्य पुलिस के पेशे को महिलाओं से जोड़ने की कोशिश करना था।

बीबीसी की खबर के मुताबिक मनीषा का मानना है कि महिलाओं में ज़्यादातर पीड़ित महिलाएं हैं, ऐसे में उनकी सुरक्षा करने वाली भी महिलाएं होनी चाहिए। इसी प्रेरणा से मैं हमेशा पुलिस बल का हिस्सा बनना चाहती था। स्वतंत्र रूप से डीएसपी का प्रभार संभालने से पहले मनीषा ने कराची के सबसे मुश्किल इलाके ल्यारी में ट्रेनिंग ली। इस इलाके में पुलिस विभाग में ऑफ़िसर बनने वाली मनीषा पहली महिला हैं। उन्होंने एएसपी आतिफ़ अमीर की निगरानी में ट्रेनिंग को पूरा किया।

अमीर का मानना है कि महिला पुलिस ऑफ़िसर की संख्या बढ़ने से पुलिस विभाग की छवि बदलने में मदद मिलेगी. उन्होंने बताया, “इससे हमारे पास अवसर होगा कि हम पुलिस की मानवता विरोधी छवि को मिटा सके. मनीषा जैसे पुलिस अधिकारियों से समाज में पुलिस की अच्छी छवि बनाने में मदद मिलेगी।

अमीर बताते हैं , ”अगर किसी अपराध की चश्मदीद  महिला होती है तो वह गवाह के तौर पर सामने आने से हिचकती है। वह क़ानूनी प्रक्रिया का हिस्सा नहीं बनाना चाहती है, क्योंकि उन्हें बार-बार पुलिस अधिकारियों से पूछताछ का सामना करना पड़ता है। अगर ज़्यादा महिला पुलिस अधिकारी होंगी तो स्थिति में बदलाव देखने को मिल सकता है। ‘वहीं मनीषा ने यह भी कहा कि उनके समुदाय के लोगों का मानना है कि वह लंबे समय तक इस नौकरी में टिक नहीं पाएगी।

मनीषा कहती है कि मेरी कामयाबी पर लोग काफ़ी खुश हुए। हमारे समुदाय में भी खुशी देखने को मिली। पूरे देश ने मेरी प्रशंसा की. हर किसी से प्रशंसा सुनने को मिली लेकिन एक अजीब बात भी हुई है. मेरे नज़दीकी रिश्तेदारों का मानना है कि थोड़े ही समय में ये नौकरी बदल लूंगी।  उन लोगों की इस धारणा के बावजूद मनीषा अपने रिश्तेदारों के व्यवहार को समझने की कोशिश कर रही हैं।

उन्होंने बताया, ” पुरुषों को लगता है कि ये काम केवल पुरुष ही कर सकते हैं. यह एक सोचने का नज़रिया हो सकता है. लेकिन आने वाले कुछ सालों में ये लोग अपनी बात वापस लेंगे और हो सकता है कि उनमें से किसी की बेटी पुलिस विभाग में काम करने लगे।

मनीषा अपनी नौकरी के अलावा लोक सेवा आयोग की परीक्षा की तैयारी कराने वाली एक एकेडमी में पढ़ाती भी हैं. उन्होंने इस बारे में कहा, “यह मेरे लिए काफ़ी प्रेरक है क्योंकि मुझे लगता है कि मेरी गाइडेंस से कुछ लड़कियों को आगे बढ़ने में मदद मिल सकती है।”मनीषा का मनना है कि पुलिस एक ऐसी सेवा है जो लिंग और धर्म से परे है। उन्होंने यह भी उम्मीद जताई कि आने वाले दिनों में अल्पसंख्यक समुदाय की ज़्यादा से ज़्यादा महिलाएं पुलिस विभाग में शामिल होंगी।

 

 

 

 

 

 

 

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top